Christmas day पर क्रिसमस ट्री का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। Christmas के दिन इस ट्री को अनेक तरीकों से सजाया जाता है।
क्रिसमस ट्री का महत्व
क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री का अत्यंत विशेष महत्व होता है। Christmas का पड़े डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर christmas day के दिन सजावट की जाती है। यूरोप के वासी भी इस सदाबहार के पेड़ों से घरों को सजाते है। ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे। उनका ये मानना था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं और बुरी शक्तियां दूर रहती हैं।
क्रिसमस ट्री की यह भी माना जाता है कि जिस तरह से सर्दियों में सदाबहार का वृक्ष बर्फीली सर्दियों में भी हरे-भरे रहता हैं। इसी बात के आधार पर रोमनवासियों ने भगवान सूर्य के सम्मान में मनाए जाने वाले सैटर्नेलिया पर्व में चीड़ के वृक्षों को सजाने की परंपरा आरंभ की थी और फिर सदाबहार का वृक्ष christmas मे भी ईस्तेमाल किया जाने लगा था।
ईसाई धर्म के लोग यह भी मानते हैं कि क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई जहा पर एक लोकप्रिय नाटक के दौरान ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों या सदाबहार के वृक्ष का प्रयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए। इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष के रूप या स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक बताया गया था।
उसके बाद जर्मनी के लोगों ने christmas के दिन फर के पेड़ से अपने घर को सजाना शुरू कर दिया था। वे लोग इस पर रंगीन पत्रियों, कागजों आदि तरीकों से सजाते थे। विक्टोरिया काल में इन पेड़ों पर मोमबत्तियों, टॉफियों, रिबन और कागज की पट्टियों से पेड़ को बांधा जाता था।
क्रिसमस ट्री के बारे में एक जर्मनी में यह भी माना जाता है कि जब येसु का जन्म हुआ वहां चर रहे पशुओं ने उन्हें प्रणाम किया और देखते ही देखते जंगल के सारे वृक्ष सदाबहार हरी पत्तियों से लद गए और तभी से क्रिसमस ट्री को ईसाई धर्म का परंपरागत प्रतीक माना जाने लगा।
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